शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशासन BTC/DELED 4th Semester
यह नोट्स विद्यार्थियों
तथा एक्साम को ध्यान में
रखते हुये प्रमुख बिंदुओं को लेकर बनाया
गया है जिसका मुख्य
उद्देश्य आप को सफल
बनाना है |
प्रमुख परिभाषाएँ
नियोजन
पूर्व निश्चित लक्षयों की प्राप्ति के
लिये तथा भविष्य में किये जाने वाले कार्यों के लिये योजना
निर्माण की प्रक्रिया की
नियोजन है
अथवा
नियोजन का अर्थ– योजना
बनाना या योजनाबद्ध तरीके
से
प्रबन्धन
किसी कार्य को सम्बन्धित व्यक्तियों
के द्वारा पारस्परिक सहयोग से कुशल पूर्वक
संपन्न करने की प्रक्रिया की
प्रबन्धन कहलाती है |
अथवा
संसाधनों का अधिकतम प्रयोग
करते हुये योजना का समुचित
क्रियान्वयन व लक्षय के
लिये समेकित प्रयास
संस्थागत नियोजन
एक शैक्षिक संस्था
के द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के
लिये भविष्य में प्राप्त होने वाले संसाधनों के आधार पर
सुधार एवं विकास की दृष्टि कोण
से बनायीं गयी योजना उस संस्था की
संस्थागत योजना होती है अथवा कहलाती
है |
*कार्यालय विद्यालय का नाड़ी संस्थान है किसने कहा-डॉ एस० एन० मुखर्जी
*शिक्षक इतिहास का वास्तविक निर्माता होता है किसने कहा-एच्० जी० वेल्स
प्रश्न नियोजन व प्रबन्धन में किन 3 बातों (प्रश्न) पर विचार किया जाता है |
1- हम कहां है
?
2- हमें कहाँ पहुंचना है ?
3- हमें वहाँ तक कैसे पहुचना
है ?
प्रश्न शिक्षा प्रक्रिया का मूल आधार तथा कार्य क्षेत्र क्या है ?
विद्यालय प्रबन्धन
प्रश्न–विद्यालय प्रबन्धन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका किसकी होती है ?
प्रबन्धन की
प्रश्न– शिक्षा प्रक्रिया का मूल आधार तथा कार्य क्षेत्र क्या है?
विद्यालय प्रबन्धन
प्रश्न विद्यालय भवन की दिशा कैसी होनी चाहिए?
पश्चिम से दक्षिण पूर्व
दिशा– जिसका प्रमुख काऱण शीतकाल में धूप सीधे छात्रों को उपलब्ध होगी
|
प्रश्न विद्यालय भवनों के कौन–कौन से प्रकार होते है ?
विद्यालय भवनों के प्रकार–I,E,H,U,T,L,Y
इसमें सबसे व्यवहारिक प्रकार-E है
प्रश्न अंग्रेजी भाषा में TEACHER को किस प्रकार से परिभाषित करेंगे ?
T=TRUTHFUL
E=ENERGETIC
A=AFFECTIONATE
C=CO-OPERATIVE
H=HUMBLE
E=EFFICIENT
R=RESOURCEFUL
प्रश्न– शिक्षाक को राष्ट्रनिर्माता की संज्ञा किसने दी?
कोढारी कमीशन ने (1964-66)
प्रश्न– जानलेटिन का अर्थ क्या है ?
जान– का अर्थ शिक्षक
को अपने अपने छात्र को भली भाति
समझना चाहिये
लेटिन–का अर्थ शिक्षक
को अपने विषय का स्वामित्व होना
चाहिये
प्रश्न लर्निग–कार्नर का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
लर्निग–कार्नर का शाब्दिक अर्थ
–सीखने का कोना
“विद्यालय का वह स्थान
विशेष जो सीखने में
सहायता प्रदान करता है लर्निग–कार्नर
कहलाता है
लर्निग–कार्नर में सामग्री –पाढ़य पुस्तके, कार्य पुस्तके, कहानियाँ, शिक्षण अधिगम सामग्री, कॉपी, पेन्सिल तथा रंग आदि
प्रश्न–विद्यालयों को कौन सा अनुदान दिया जाता है?
विद्यालयों को दिया जाने
वाला अनुदान निम्न हैं
1-सर्व–शिक्षा अभियान के अन्तर्गत–
प्राथमिक विद्यालयों को 5000/वर्ष
उच्च प्राथमिक विद्यालय को– 7000/वर्ष
नोट–सर्व–शिक्षा अभियान के द्वारा प्राथमिक
व उच्च प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक शिक्षक
को 500/वर्ष TLM(टीचर लर्निंग मैटेरियल) के निर्माण हेतु
दिये जाते है |
2- अनुरक्षण अनुदान
यह अनुदान शासन
द्वारा टूट–फूट लघु मरम्मत के लिये तीन
कमरे वाले विद्यालयों को 5000/वर्ष तथा 3 कमरों से अधिक वाले
विद्यालयों को 10000/वर्ष है
3-शिक्षण अधिगम सामग्री के लिए अनुदान
प्राथमिक विद्यालय के विकास हेतु
अनुदान-5000/वर्ष
पूर्व माध्यमिक विद्यालय के किये अनुदान–
7000/वर्ष
4 कन्वर्जन कास्ट
प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्ययालयों में
मध्यान भोजन में प्रत्येक बच्चे के ऊपर जो
धनराशि निर्धारित
रहती है उसे कन्वर्जन
कास्ट कहते है |
वर्तमान में प्राथमिक विद्यालयों में यह राशि 3.76 पैसे/बालक तथा पूर्व माध्यमिक विद्यालओं में 5.65 पैसे/बालक निर्धारित है |
मध्यान भोजन के लिए विद्यालयों
में गेंहूं और चावल निः
शुल्क आता है | तेल, नमक, शब्जी, सिलेंडर आदि पर जो व्यय
राशि है उसी के
लिए यह कनवर्जन कास्ट
विद्यालयों में आती है| ें सभी व्ययों
का लेखा–जोखा जिस पंजिका में होता है उसे कनवर्जन
कास्ट एवं खाद्य पंजिका कहते है |
प्रश्न पर्यावरण त्रासदी क्या है ?
कुछ आपदाएं कंपनियों के संयंत्रों को
लापरवाही या दोषपूर्ण रखरखाव
के कारण होती है जिन्हे पर्यावरण
त्रासदी कहा जाता है जैसे– 3
दिसम्बर
1984 को भोपाल
में मिक
गैस
(मिथाइल आइसो साइनेट)
के रिसाव से त्रासदी हुयी।
प्रश्न शिक्षक एवं अभिभावक संघ की स्थापना ?
शिक्षक एवं अभिभावक संघ की स्थापनाग्राम शिक्षा
समिट की देख रेख
में की गयी
अथ्यक्ष–
अभिभावक
सचिव–प्रधानाध्यापक
सदस्य–
विद्यालय में पढ़ने वाले 5 छात्रों के अभिभावक व
विद्यालय का एक शिक्षक
प्रश्न मीणा मंच परियोजना क्या है ?
” कलब के रूप में
संगठित 11-18 वर्ग की बालिकाओं के
समूह को मीणा मंच
नाम दिया गया है“
स्थापना–उत्तर–प्रदेश
परियोजना
परिषद्
के
द्वारा
उद्देश्य–
बालिका शिक्षा प्रोत्साहन
करना तथा बालिकाओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्त्पन्न करना
*यह यूनीसेफ द्वारा
विकसित चरित्र है जो मीणा
नामक एनिमेशन फिल्म की नायिका है।
नोट-ब्लाक
स्तर पर– खण्डशिक्षा
अधिकारी
👇
सह-समन्वयक(5 विषय आधारित)विशेष प्रशिक्षण
के लिये
👇
न्याय पंचायत संसाधन केंद्र पर 2 समन्वयक(
संकुल के प्रधानाध्यापक ही पदेन रूप से समन्यवक का काम देख रहे है )
समन्वयक
के कार्य
1 विद्यालयों/न्याय पंचायतों/ ब्लाक
स्तर की सूचनाओं को संकलन एवं आदान-प्रदान करना
2 गुणवत्ता युक्त शिक्षा विषयक सभी
कार्यक्रम के लिये विद्यालयों को अनुदान प्रेषित करना
3 प्रतिमाह 20 विद्यालयों का पर्यवेक्षण
करना
4 विद्यालय में जाकर सह-समन्वयकों के
माध्यमों से छात्रों का चाइल्ड प्रोफ़ाइल तैयार करवाना
5 विद्यालय विकास योजना निर्माण एवं
उनका क्रियान्वयन करना
6 बल केंद्रित गति विधियों को बढ़ावा
देने हेतु शिक्षण विधियों TLM निर्माण, किताबों का उपयोग, शैक्षिक प्रतियोगिताओं विषयों
पर जिले स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करना
प्रश्न जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(डायट)
स्थापना, विभाग एवं कार्य का उल्लेख की जिये
डाइट-डाइट की स्थापना 1986 में भारत सरकार की पहल से जनपदों में
गयी
उद्देश्य-
1 इसका प्रमुख उद्देश्य प्रारम्भिक
शिक्षा के सार्वभौमीकरण में सहयोग प्रदान करना है
2 विद्यालयों की ढहराव क्षमता में वृद्धि
करना
3 विद्यार्थियों की उपलब्धि सस्तरों
का उन्मूलन करना
डायट के विभिन्न विभाग
डायट के प्रमुख 7 विभाग़ है
1 सेवापूर्व शिक्षक प्रशिक्षण विभाग
2 कार्यानुभव विभाग
3 जिला संस्थान इकाई
4 सेवारत कार्यक्रम क्षेत्रीय सम्पर्क
तथा प्रवर्तन समन्वय विभाग
5 पाठ्यक्रम सामग्री विभाग एवं मूल्यांकन
विभाग
6 शैक्षिक तकनीक विभाग
7 नियोजन एवं प्रबंधन विभाग
डायट के कार्य
1 सन्दर्भ व्यक्तियों को प्रशिक्षित
करना
2 सेवापूर्ण प्रशिक्षण देना
3 सेवारत प्रशिक्षण की वयवस्था करना
4 ब्लॉक संसाधन केन्द्रों को शैक्षिक
सहयोग प्रदान करना
5 न्याय पंचायत संसाधन केंद्रों को
शैक्षिक सहयोग प्रदान करना
6 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की
लिये संस्थागत नियोजन और प्रबंधन का कार्यक्रम संचालित करना
7 सर्वशिक्षा अभियान को सफल बनाने में
सहयोग करना तथा प्रशिक्षण की वयवस्था करना
इन्हे भी पढ़े 👇👇👇👇
>शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशासन (pdf)
>शिक्षण सूत्र एवं विधियाँ (pdf)
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