अधिगम का
अर्थ
एवं
परिभाषा,
विशेषता
तथा
प्रभावित
करने
वाले
कारक
अधिगम का
अर्थ
अधिगम शब्द अंग्रेजी शब्द Learning का हिन्दी रूपान्तरित है | जिसका अर्थ होता है | ‘सीखना‘ हर एक व्यक्ति बचपन से ही अपने जीवन में कुछ न कुछ सीखता ही रहता है इस सिखने की प्रक्रिया में कुछ चीजों को तो वह अनुकरण द्वारा सीखता है कुछ चीजों को वातावरण के द्वारा तथा कुछ चीजों को वह व्यवहार के द्वारा सीखता है | सीखने की इस सतत प्रक्रिया को ही अधिगम कहते है |
अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषता तथा प्रभावित करने वाले कारक (BTC/DELED) |
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अधिगम की
परिभाषाएँ
वुडवर्थ के अनुसार
“नवीन ज्ञान और नवीन प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया सीखने की प्रक्रिया है”
मर्फी के अनुसार
“अनुभव एवं व्यवहारिक द्रष्टिकोण का परिमार्जन करना अधिगम है “
हिलगार्ड के अनुसार
“नवीन परिस्थितियों में अपने आप को ढालना या अनुकूलित करना ही अधिगम है”
गिल्फोर्ड
के
अनुसार
“व्यवहार के कारण व्यवहार में होने वाला परिवर्तन अधिगम है”
“सीखना आदतों,ज्ञान और अभिवृत्तियों का अर्जन है”
“अनुभव के आधार पर होने वाले परिवर्तन को अधिगम कहते है”
स्किनर के अनुसार
“सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की एक प्रक्रिया है “
“अधिगम, व्यक्ति में एक परिवर्तन है जो उसके वातावरण के अनुसार होता है”
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सीखने
की
प्रक्रिया
हर एक व्यक्ति अपने
जीवन में
निरन्तर नये–नये अनुभवों से
कुछ न
कुछ सीखता
रहता है
यही सीखे
हुए नए
अनुभव व्यक्ति
के व्यवहार
में वृद्धि
और संसोधन
करते है|
मनोवैज्ञानिकों के
अनुसार यह
एक ऐसी
प्रक्रिया है
जो जीवन
भर निरन्तर
चलती ही
रहती हैअतः यह
कहा
जा
सकता
है
की
इस
क्रिया
में
निरन्तरता
और
सार्वभौमिक्ता
है
इसीलिये
व्यक्ति
अपने
जन्म
से
मृत्यु
तक
कुछ
न
कुछ
सीखता
ही
रहता
है|
यह
सीखने की
प्रक्रिया
कही
भी,
किसी
भी
स्थान
पर,
किसी
भी
समय
हो
सकती
है
फिर
चाहे
वह
परिवार,
सिनेमा,
सड़क,संगीत,
संस्कृति
समाज,पडोसी
,स्कूल
आदि
क्यों
ही
न
हो
अर्थात
उसके
जीवन
में
सीखने
की
प्रक्रिया
में
विराम
और
अस्थिरता
की
अवस्था
कभी
नहीं
आती
|
इस तरह हम कह सकते है की–
प्रक्रिया
है
*यह जीवन
भर
चलने
वाली
प्रक्रिया
है
*इस क्रिया
में
व्यक्ति
नये
अनुभवों
को
प्राप्त
करता
है
*सीखना
एक
सृजनात्मक
पद्धति
है
*अधिगम
प्रक्रिया
के
ही
द्वारा
मनुष्य
के
व्यवहार
में
परिवर्तन
होता
है
*यह व्यक्ति
में
प्रगति
और
विकास
का
माध्यम
है
अधिगम की विशेषताएँ
*अधिगम
जीवन
प्रयत्न
चलने
वाली
प्रक्रिया है
*अधिगम
निरन्तर
तथा
सतत
रूप
से
चलने
वाली
प्रक्रिया
है
*अधिगम
अनुभवों
का
संगढन
है
*अधिगम
परिवर्तनशील
है
*सीखना
विकास
है,
जो
कभी
समाप्त
नहीं
होता
है
*अधिगम
एक
उद्देश्यपूर्ण
प्रक्रिया
है
*वुडवर्थ
के
अनुसार
नवीन
कार्य
करना
ही
अधिगम
है
*व्यवहार
में
परिवर्तन
ही
अधिगम
है
*सीखना की
प्रक्रिया
सार्वभौमिक
होती
है
*सीखना
एक
विकास
है,
जो
कभी
समाप्त
नहीं
होती
है
*यह विकासशील
प्रक्रिया
है
*अधिगम
सामाजिक
होता
है
यह
समाज
में
समायोजन
में
सहायता
करता
है
*अधिगम
सकारात्मक
तथा
नकारात्मक
होता
है
*पूर्व
अनुभव
एवं
अभ्यासों
के
द्वारा
नई
योग्यताओं
का
अर्जन
करना
ही
अधिगम
है
*अधिगम
की
प्रक्रिया
विवेकपूर्ण
है
*अधिगम
वातावरण
की उपज
है
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अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक
अधिगम
को
प्रभावित
करने
वाले
कारक
निम्नलिखित
है
|
1 परिपक्वता
अधिगम
अभिक्रिया
में
परिपक्वता
का
एक
विशेष
महत्त
होता
है| यदि
अधिगम
प्रक्रियामें
अधिगम
करने
वाले
की
आयु
अधिगम
सामग्री
के
अनुरूप
नहीं
है
इस
स्थित
में
अधिगम
प्रभावित
होगा
जैसे–यदि कक्षा
5 के
छात्र
को
कक्षा
7 की
अधिगम
सामग्री
को
दिया
जाये
इस
स्थित
में
अधिगम
प्रभावित
होगा
|
अधिगम
एक
ऐसी
प्रक्रिया
है
जो
जीवन
प्रयत्न
चलती
रहती
है
यह
क्रिया
किसी
भी
समय,
किसी
भी
स्थान,
किसी
भी
स्थित
में
भी
चलती
रहती
है
लेकिन
इस
अभिक्रिया
में
समय
विशेष
का
भी
बड़ा
महत्व
होता
है
जैसे–
सुबह
के
समय
मस्तिष्क
स्फूर्त
होता
है
इस
समय
किया
जाने
वाला
अधिगम
तेज
होगा
परन्तु
जैसे–
जैसे
शरीर
में
थकान
आना
शुरू
होता
है
सीखने
की
प्रक्रिया
धीमे
होती
जाती
है
|
3 शारीरिक एवं मानसिक थकान
अधिगम
प्रक्रिया
होते–होते
एक
समय
ऐसा
भी
आ
जाता
है
जब
अधिगम
की
प्रक्रिया
धीमे
हो
जाती
है
क्योंकि
जब
शरीर
अथवा
मस्तिष्क
थक
जाता
है
तब
एक
निश्चित
स्थिति
से
अधिक
कार्य
नहीं
किया
जा
सकता
है
|
4 बुद्धि
अधिगम
को
प्रभावित
करने
वाले
कारकों
में
एक
करक
बुद्धि
भी
है
| सामान्य
अथवा
प्रभावशाली
बालक
की
तुलना
में
मंद
बुद्धि
बालक
किसी
भी
कार्य
को
जल्दी
करने
में
असमर्थ
होता
है|
किसी
भी
कार्य
को
करने
अथवा
सीखने
में
अधिगम
की
किस
विधि
का
प्रयोग
किया
गया
है
उस
विधि
पर
भी
अधिगम
होना
प्रभावित
होता
है|
अधिगम
करने
की
विभिन्न
विधियाँ
है
जैसे–करके
सीखना,
अनुकरण
द्वारा
सीखना,
निरीक्षण
द्वारा
सीखना,
परीक्षण
द्वारा
सीखना,
सामूहिक
विधि
द्वारा
सीखना
|
बालक
को
दिया
जाना
वाला
अभ्यास
कार्य
को
अगर
छोटे–छोटे
भागो
में
कराया
जाये
इस
स्थित
में
अधिगम
की
प्रक्रिया
में
तेजी
आती
है
वही
अभ्यास
कार्य
को
छोटे
भागो
में
बात
कर
सामान्य
रूप
से
किया
जाये
तब
इस
स्थित
में
शारीरिक
व
मानसिक
थकान
आना
सुरु
हो
जाता
है
और
अधिगम
प्रक्रिया
प्रभावी
नहीं
हो
पति
है
किसी
भी
कार्य
को
सीखते
समय
यदि
प्रेरणा
प्राप्त
हो
जाये
इस
स्थित
में
अधिगम
प्रक्रिया
में
तेजी
आजाती
है|
जैसे–
किसी
कार्य
को
करते
समय
यदि
प्रेरणा
नहीं
होती
है इस
स्थित
में
कार्य
करने
वाला
थक
कर
हार
मान
लेता
है
और
वह
कार्य
सफल
नहीं
हो
पता
है|
यदि किसी
भी
कार्य
को
करते
अथवा
कराते
समय
अधिगम
कर्ता
उस
कार्य
को
करने
में
रूचि
ले
रहा
है इस
स्थित
में
उस
कार्य
को
सिखने
में
तेजी
आयेगी
और
वह
उसे
शीघ्र
ही
सीख
लेगा
|
अधिगम
क्रिया
में
शिक्षण
विधि
का
महत्वपूर्ण
योगदान
रहता
है
यदि
शिक्षण
विधि
प्रभावशाली
नहीं
है
इस
स्थित
में
अधिगम
प्रक्रिया
प्रभावित
नहीं
रह
सकती
है| जैसे–
कक्षा
में
शिक्षक
के
द्वारा
किया
जाने
वाला
शिक्षण
यदि
प्रभावशली
नहीं
है
इस
इस
स्थित
में
छात्र
उसे
समझने
में
असमर्थ
हो
जाता
है|
अधिगम
अभिक्रिया
में
यदि
पाठ्यक्रमको ‘सरल
से
कठिन
की
और
‘सिद्धांत
के
आधार
पर
संगठित
किया
जाता
है
तो
वह
अधिगम
में
सहायक
होगा
| जैसे–
किसी
भी
कार्य
की
शुरुआत
करते
समय
यदि
हम
उसमे
सबसे
पहले
सरल
कार्य
को
फिर
धीरे–धीरे
कठिन
की
और
बढ़ते
है
इस
स्थित
में
अधिगम
में
तेजी
आती
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