व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ,महत्व, प्रकार,मापन की विधियाँ एवं वर्गीकरण तथा प्रभावित करने वाले कारक examstd 


BTC/DELED

SEMESTER-1ST

विषय(Subject):- बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया 

पाठ (Chapter):- 3 

पाठ नाम (Chapter name):- व्यक्तिव का विकास,उनका अर्थ एवं प्रकार 


व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषा 

व्यक्तित्व का अर्थ in Hindi
यह जानना अति आवश्यक है कि व्यक्तित्व किसे कहते हैं अर्थात व्यक्तित्व का क्या अर्थ है? व्यक्तित्व शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के पर्सनेल्टी शब्द का हिंदी रूपान्तर है, पर्सनाल्टी शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के पर्सोना शब्द से हुई,पर्सेना शब्द का मतलब नकाब या मुखौटा होता है।
लेकिन धीरे-धीरे व्यक्तित्व के अन्तर्गत व्यक्ति के आन्तरिक स्वरूप को भी शामिल कर लिया गया और अब व्यक्तित्व एक तरह से व्यक्ति के शरीरिक गुणों, मानसिक गुणों और सामाजिक गुणों के योग को बताने के लिए प्रयोग किया जाता है।
व्यक्तित्व की परिभाषा 
  1. वारेन के अनुसार- “व्यक्तित्व व्यक्ति का सम्पूर्ण मानसिक संगढन है जो उसके विकास की किसी भी अवस्था में होता है ” | 
  2. रैक्स के अनुसार“व्यक्तित्व समाज द्वारा मान्य तथा अमान्य गुणों का संगढन है” | 
  3. शियल के अनुसार– “व्यक्तित्व व्यक्ति के सभी व्यवहारों का वह समायोजित संकलन है, जो उसके सहयोगियों में स्पष्ट रूप से दिखलायी दे”।
  4. बोरिंग, लैंगफील्ड तथा वैल्ड के अनुसार– व्यक्तित्व से अभिप्राय है, व्यक्ति का अपने परिवेश के साथ स्थायी तथा अपूर्व समायोजन।
  5. थार्प तथा शमुलर के अनुसार– “व्यक्तित्व एक जटिल तथा एकीकृत प्रक्रिया है”।
  6. मॉटर्न के अनुसार– “व्यक्तित्व, व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित स्वभाव , मूल – प्रवृत्तियों , भावनाओं तथा इच्छाओं का योग होता है”।
  7. एलपर्ट के अनुसार– “व्यक्तित्व , व्यक्ति में उन मनोदैहिक अवस्थाओं का गत्यात्मक संगठन है , जिनके आधार पर व्यक्ति अपने परिवेश के साथ समायोजन स्थापित करता है”।
  8. बिग तथा हण्ट के अनुसार– “किसी व्यक्ति के समस्त व्यवहार – प्रतिमानों और उसकी विशेषताओं का योग ही उसका व्यक्तित्व है” | 
  9. वैलन्टाईन के अनुसार– “व्यक्तित्व जन्मजात और आर्गेन प्रवृत्तियों का योग है”।
  10. बीसेंज एवं बीसेंज के अनुसार– “व्यक्तित्व, मनुष्य की आदतों, दृष्टिकोणों और लक्ष्यों का संगठन है और प्राणीशास्त्रीय, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों के संयुक्त कार्य से उत्पन्न होता है”।
  11. मनु के अनुसार– “व्यक्ति के सभी पक्षों का एक विशिष्ट संकलन होता है , जो उसके सम्पूर्ण रूप को कुछ पक्ष , अन्यों की अपेक्षा अधिक विशिष्टता प्रदान करते है “।
  12. वारेन के अनुसार – “व्यक्तित्व व्यक्ति का सम्पूर्ण मानसिक संगठन है, जो उसके विकास की किसी भी अवस्था में होता है”।

व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं?
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