योजना विधि अथवा प्रोजेक्ट विधि
(Project Method) अर्थ,जनक,सोपान,परिभाषा,सिद्धान्त,कार्यविधि,विशेषताएँ,लाभ,हानि
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योजना विधि अथवा प्रोजेक्ट विधि (Project Method) अर्थ,जनक,सोपान,परिभाषा,सिद्धान्त,कार्यविधि, विशेषताएँ, प्रकार,लाभ, हानि |
BTC/DELED 1st Semester Note
SUBJECT:-बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया
प्रमुख बिन्दु
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प्रोजेक्ट विधि अथवा योजना विधि प्रोजेक्ट विधि की अवधारणा जॉन डीवी के द्वारा की गयी जबकि प्रोजेक्ट विधि का प्रतिपादन किलपैट्रिक ने किया। इस विधि में शिक्षक मार्गदर्शक के रूप में काम करता है।बालक द्वारा ही किसी को प्रोजेक्ट को हल
किया जाता है जो उद्देश्य पूर्ण होता हैं।इस विधि में पता करके सीखने पर बल दिया जाता है इस विधि में प्राप्त होने वाला ज्ञान स्थाई एवं स्पष्ट होता है। प्रयोजना विधि से बालकों में तारक चिंतन अन्वेषण शक्ति का विकास होता है। आत्मनिर्भर,सामाजिक गुणों से पूर्ण होते हैं। इस विधि में हाथ से कार्य करने पर बल दिया जाता है। शारीरिक व मानसिक परिश्रम करवाया जाता है। परियोजना विधि अधिक खर्चीली तथा अधिक समय लेने वाली होती है।
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प्रोजेक्ट का अर्थ
- प्रोजेक्ट रुचिपूर्ण होता है।
- प्रोजेक्ट क्रिया सामाजिक वातावरण में की जाती है।
- प्रत्येक प्रोजेक्ट का प्रयोजन होता
है। - प्रत्येक प्रोजेक्ट को आरम्भ के
बाद पूर्ण करना भी आवश्यक होता है
प्रोजेक्ट विधि का जनक
प्रोजेक्ट विधि की मूल अवधारणा जॉन डीवी के द्वारा दी गई है तथा उनके शिष्य किलपैट्रिक ने इस विधि का प्रतिपादन किया।
प्रोजेक्ट विधि के सोपान
प्रोजेक्ट विधि के 4 सोपान है-
- समस्या चयन तथा उसके स्वरूप को समझना।
- समस्या समाधान के लिए योजना तैयार करना।
- योजना को क्रियान्वित करना।
- योजना का मूल्यांकन करना।
प्रोजेक्ट विधि की परिभाषा
पार्कर के अनुसार “प्रोजेक्ट कार्य की एक इकाई है, जिसमें छात्रों को कार्य की योजना और सम्पन्नता के लिए उत्तरदायी बनाया जाता है।”
थॉमस और लैंग के अनुसार “प्रोजेक्ट इच्छानुसार किया जाने वाला ऐसा कार्य है, जिसमें रचनात्मक प्रयास अथवा विचार हो और जिसका कुछ सकारात्मक परिणाम भी हो।”
किलपैट्रिक के अनुसार
“प्रोजेक्ट वह सहदयपूर्ण अभिप्राय युक्त क्रिया है जो पूर्ण संलग्नता के साथ सामाजिक वातावरण में की जाए।”
स्टीवेन्सन के अनुसार “प्रोजेक्ट एक समस्या मूलक कार्य है,जो स्वाभाविक स्थिति में पूरा किया जाता है”
सी०वी० गुण के अनुसार “योजना नियोजित होती है तथा इसकी पूर्ति का प्रयास शिक्षक तथा शिक्षार्थियों के द्वारा स्वाभाविक
जीवन जैसी परिस्थितियों में किया जाता है।”
बेलार्ड के अनुसार“प्रोजेक्ट यथार्थ जीवन का एक ही भाग है, जो विद्यालय में प्रयोग किया जाता है”
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प्रोजेक्ट प्रणाली के सिद्धान्त
प्रोजेक्ट प्रणाली के निम्नलिखित सिद्धान्त है।
- प्रयोजनता-इसमें शिक्षक छात्र के सम्मुख प्रयोजनयुक्त कार्य प्रस्तुत करता है।
- क्रियशीलता-प्रोजेक्ट प्रणाली के इस सिद्धांत के अन्तर्गत छात्र जो भी सीखता है वह करके सीखता है अर्थात इसमें करके सीखने का सिद्धान्त प्रयोग में लाया जाता है।
- यथार्थता- छात्र को दिये जाने वाले समस्यात्मक कार्य ऐसे हो जो उसके वास्तविक जीवन से सम्बन्धित हो जिनका हल वह आसानी से निकाल लेते है।
- उपयोगिता-किसी भी प्रोजेक्ट का उपयोगी होना अति आवश्यक है। प्रोजेक्ट के उपयोगी होने का प्रमुख कारण उपयोगी कार्यों में छात्र अधिक रूचि लेते है।
- रोचकता- इस विधि में छात्रों के सामने रुचिपूर्ण समस्याएँ उत्पन्न की जाती है। जिससे छात्र उनमे अधिक रूचि लेते है।
- स्वतन्त्रता- प्रोजेक्ट प्रणाली के इस सिद्धांत में छात्रों को स्वम अपना कार्य चुनने की स्वतंत्रता प्रदान की जाती है।
- सामाजिकता- इस सिद्धांत में छात्रों को ऐसे अवसर दिये जाते है जिनसे उनमे सामाजिकता का विकास हो।
प्रोजेक्ट अथवा योजना विधि की कार्य विधि
- परिस्थिति उत्पन्न करना
- योजना चुनना
- कार्यक्रम बनाना
- कार्यक्रम को क्रियावन्तित करना
- कार्य का निर्माण या मूल्यांकन करना
- कार्य का लेखा रखना
प्रोजेक्ट प्रणाली की विशेषताएँ
- इस विधि में छात्रों को नवीन ज्ञान जीवन से संबंधित करके दिया जाता है इसलिए अधिक उपयोगी होता है और छात्र इसमें अधिक रूचि लेता है।
- इससे छात्रों को मौलिक चिन्तन, क्रियाओं तथा अनुभवों द्वारा सीखने का अवसर मिलता है।
- यह विधि मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक अधिनियमों पर आधारित है।
- इस विधि से छात्रों में सूझ की क्षमताओं का विकास होता है।
- किसी भी योजना का व्यक्तिगत तथा सामाजिक रूप से उपयोगी होना अनिवार्य है।
- योजना छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण एवं रोचक होनी चाहिए।
- योजना ऐसी होनी चाहिये की छात्रों को इसके प्रयोग में कोई कठिनाई नहीं न हो।
- योजना में विभिन्न प्रकार की क्रियाओं का समावेश होना चाहिए।
प्रोजेक्ट के प्रकार
प्रोजेक्ट दो प्रकार के होते है।
- व्यक्तिगत प्रोजेक्ट– इस प्रोजेक्ट में प्रत्येक विद्यार्थी को अलग-अलग योजनायें दी जाती है जिन्हें प्रत्येक विद्यार्थी
स्वतंत्रतापूर्वक अपने ढंग से पूर्ण करता है। - सामूहिक प्रोजेक्ट- सामूहिक प्रोजेक्ट में एक ही प्रोजेक्ट पर कई विद्यार्थी कार्य करते हैं और सहयोगिक प्रयत्नों
से उन्हें पूर्ण करते हैं। इस प्रकार उनमें सामाजिकता तथा नागरिकता जैसे – सहयोग, आपसी समझ, अनुशासन, धैर्य आदि गुणों का विकास होता है।
किलपैट्रिक के अनुसार प्रोजेक्ट विधि के प्रकार
किलपैट्रिक के अनुसार प्रोजेक्ट विधि के चार प्रकार है।
- रचनात्मक प्रोजरक्ट– रचनात्मक प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य छात्रों के अन्दर रचनात्मक प्रवृत्ति का विकास करना होता
है। रचनात्मक प्रोजेक्ट के अन्तर्गत छात्र विभिन्न रचनाओं जैसे-मकान बनाना, नाव का निर्माण करना, पत्र लिखना आदि कार्य करते है। - समस्यात्मक प्रोजेक्ट – समस्यात्मक प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य बौद्धिक समस्याओं को हल करने के लिये छात्रों को प्रेरित
करना होता है। जिसके अन्तर्गत शिक्षक छात्रों के समछ समस्याएँ रखते है और छात्र उन समस्याओं का निवारण करने का प्रयास करते है। - रसास्वादन के प्रोजेक्ट–रसास्वादन प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य छात्रों में रसानुभूति का विकास करना है।
- अभ्यास के प्रोजेक्ट– अभ्यास के प्रोजेक्ट विधि का मुख्य उद्देश्य छात्रों में इस बात का पता लगाना होता है की छात्र
ने किस सीमा तक ज्ञान को ग्रहण किया है।
योजना विधि के लाभ
(Advantages of Project Method)
प्रोजेक्ट पद्धति एक ऐसी योजना है जिसका प्रयोग किसी सामाजिक समस्या के समाधान हेतु किया जाता है। प्रो० किलपैट्रिक के अनुसार, “प्रोजेक्ट वह उद्देश्यपूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में पूर्ण संलग्नता से किया जाए।”
प्रोजेक्ट विधि के लाभ और सीमाएँ
- इस विधि से छात्रों को सीखने के विभिन्न नियमों, विभिन्न मनोदशाओं, जिज्ञासाओं तथा इच्छाओं का ज्ञान प्राप्त
होता है। - इस विधि के माध्यम से हम विभिन्न विषयों का अध्ययन एक सम्मिलित एकीकृत रूप में कर सकते हैं।
- प्रोजेक्ट पद्धति द्वारा के शिक्षण को मितव्ययिता तथा प्रभावशीलता की दृष्टि से अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
- प्रोजेक्ट विधि से मुख्य लाभ में छात्रों को विभिन्न सामाजिक सिद्धान्तों तथा मनोवैज्ञानिक नियमों का ज्ञान प्राप्त होता है।
- योजना विधि व्यक्तिगत विभिन्नताओं के आधार पर पिछड़े एवं अति प्रतिभाशाली छात्रों के लिए लाभदायी है।
- प्रोजेक्ट विधि से कार्य अनुभव, विभिन्न क्षेत्रों में विचारशीलता, सामाजिक कुशलता इत्यादि को विकसित करने में सहायता मिलती है।
- जीवन से सम्बन्धित वास्तविक समस्याओं का उद्देश्यपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।
- छात्रों में सामाजिक, राजनैतिक एवं नागरिक गुणों की समझ विकसित करने में अधिक सफलता मिलती है।
परियोजना विधि के दोष (Demerits of Project Method)
- इस विधि से शिक्षण कार्य व्यवस्थित नहीं हो पाता है।
- इस विधि में श्रम अधिक खर्च होता है।
- योजना विधि प्रत्येक विद्यालय से सम्भव नहीं है खासकर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में।
- उच्च स्तर पर केवल प्रोजेक्ट से शिक्षण नहीं किया जा सकता।
- इस विधि में योजना के लिए उचित सन्दर्भ साहित्य का अभाव हो सकता है।
- परियोजनाओं के लिए उपकरणों तथा प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होती है।
- छात्रों का उचित मूल्यांकन करने में समस्या होती है।
- यह विधि अधिक महंगी होती है।
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