समायोजन कितने प्रकार के होते हैं? d el ed 1st semester bal vikas  

www.way2pathshala.in , तथा www.examstd.com के द्वारा BTC/DELED 1st Semester, बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया (प्रथम प्रश्न पत्र) के पाठ-3 व्यक्तित्व का विकास, उनका अर्थ एवं प्रकार से  समायोजन कितने प्रकार के होते हैं? को आप के समछ लाया गया है।  जिसके अंतर्गत समायोजन के प्रकार के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है|
www.examstd.com

समायोजन के प्रकार (types of adjustment)

समायोजन को सामान्यत: दो प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है। दोनों ही वर्गीकरण का पृथक्-पृथक् अध्ययन किया है। 

समायोजन का पहला वर्गीकरण 

पहले वर्गीकरण के अनुसार समायोजन चार प्रकार का होता है, जो निम्न प्रकार से है –

  1. आत्म समायोजन
  2. सामाजिक समायोजन
  3. लैंगिक समायोजन
  4. व्यावसायिक समायोजन
समायोजन का दूसरा वर्गीकरण
दूसरे वर्गीकरण के अनुसार समायोजन चार प्रकार का होता है, जो निम्न प्रकार से है –
  1. सुसमायोजन 
  2. कुसमायोजन 
  3. रचनात्मक समायोजन 
  4. प्रतिस्थापित समायोजन

पहले वर्गीकरण के अनुसार समायोजन 

1. आत्म समायोजन – आत्म समायोजन का सामान्य अर्थ होता है अपने आप में समायोजन करना। कभी कभी बालक के सामने ऐसी समस्या आ जाती है जिसके कारण उसके मस्तिष्क में विरोधी विचारों से द्वन्द्व की स्थिति उत्पन्न हो जाती है उसे समायोजन द्वारा इसे दूर करना होता है। इस प्रकार के समायोजन को आत्म समायोजन कहते हैं। 

सामान्यत: विचारों, इच्छाओं एवं उद्दष्यों से मानसिक द्वन्द्व की स्थिति, भौतिक साधन सुविधाओं की इच्छा, इच्छाओं की तृप्ति-अतृप्ति, सामाजिक नियम, प्रथाएँ, रीति-रिवाज, धर्म और नैतिक आदर्श आदि के मनोवैज्ञानिक समायोजन की रक्षात्मक युक्तियाँ को अपनाना होता है।

2. सामाजिक समायोजन – समायोजन का यह महत्वपूर्ण प्रकार है सामाजिक समायोजन के अंतर्गत व्यक्ति सामाजिक परिवेष में रहते हुए घर – परिवार, मित्र सम्बन्धी एवं पड़ोसियों से उचित तालमेल बनाए रखकर समायोजित रहता है।

3. लैंगिक समायोजन – लैंगिक समायोजन के अंतर्गत व्यक्ति यौन संबंधियों की आवश्यकताओं की पूर्ति समाज द्वारा मान्य तरीकों से करता है यौन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होने पर व्यक्ति में कुसमायेाजन व कुंठा का जन्म होता हैं।

4. व्यावसायिक समायोजन – इसके अंतर्गत व्यक्ति अपने व्यावसायिक कार्यक्षेत्र में अपने सहकर्मियों के साथ उचित व्यवहार करते हुए सम्मान प्राप्त करता है तथा अपने व्यवसाय से संतुष्टता तथा संतोष प्राप्त करता हैं।

 समायोजन का अर्थ क्या होता है?

दूसरे वर्गीकरण के अनुसार समायोजन 

1. सुसमायोजन – ‘‘सुसमायोजन का अर्थ है बालक द्वारा अपनी क्षमताओं, योग्यताओं और अपने पर्यावरण के मध्य समायोजन करने में सफल होना। बालक अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं का आकलन कर उनके अनुसार आवश्यकताएँ, इच्छाएँ और उद्देश्य निर्धारित करता है तो उसे इनकी पूर्ति में समय नहीं लगता और वह अपनी कार्यकुशलता एवं संतुलित व्यवहार से संतुष्टि एवं प्रसéता को प्राप्त करता है। यदि इनकी पूर्ति में बाधाएँ आती है तो भी वह सहज पूर्ण ढंग से इनका सामना करता है और इन्हें दूर करने में सफल होता है। 

गेट्स ने लिखा है कि, ‘‘सुसमायोजित व्यक्ति वह है जिसकी आवश्यकताएँ एवं तृप्ति सामाजिक दृष्टिकोण तथा सामाजिक उत्तरदायित्व की स्वीकृति के साथ संगठित हों।’’

2. कुसमायोजन – ‘‘कुसमायोजन का अर्थ होता है बालक द्वारा अपनी आवश्यकताओं, आकांक्षाओं और परिस्थितियों के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाने में असफल होने पर उत्पन्न मानसिक तनाव के कारण अपनी पारिवारिक समस्याओं से हटकर अन्य व्यवहार करना, जैसे- कोई बालक अपनी स्वयं की योग्यता एवं क्षमता से अधिक शैक्षिक योग्यता प्राप्त करने की आकांक्षा करता है। साथ ही उसकी पारिवारिक, सामाजिक एवं शैक्षिक परिस्थितियाँ भी उसकी आकांक्षा की पूर्ति में सहमत नहीं होती है और वह असफल हो जाता है, ऐसी स्थिति में वह अपने समूह में अपना स्थान बनाने के लिए अन्य व्यवहार (दादागिरी) करता है तो मनोवैज्ञानिक भाषा में वह व्यवहार कुसमायोजन कहलाता है।

3.  रचनात्मक समायोजन – यदि कोई बालक अपने सामने प्रस्तुत समस्या का समाधान रचनात्मक ढंग से करता है तो उसे रचनात्मक समायोजन कहा जाता है। जैसे – लक्ष्य प्राप्ति के प्रयत्नों में वृद्धि करना, समस्या पर विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार करना, अन्य व्यक्तियों से उचित सलाह लेना आदि।

4. प्रतिस्थापित समायोजन – यदि बालक द्वारा किए जा रहे प्रयत्नों से आकांक्षित लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो वह प्रतिबंधित लक्ष्य का प्रतिस्थापन करके स्वयं को समायोजित कर सकता है।

इन्हे भी पढ़े 👇👇👇

BTC/DELED उत्तर प्रदेश 
प्रथम वर्ष  (प्रथम प्रश्-पत्र) 
बालविकास एवं सीखने की प्रक्रिया 
सम्पूर्ण समाधान 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *